Monday, April 6, 2009

दूरियां

दूरियां

मैं चली जाऊँ तो निराश मत होना.
जीना ही तो है!
एक सीधा-सा प्रश्न
एक अटपटा-सा उत्तर.
अपने अगले पलों में छिपाकर रखूँगी मैं तुम्हें
और तुम मुझे रखना.
मौका पाते ही
उन निधियों के हम सामने रख खोला करेंगे.
उनके रहते ना मेरी रातें स्याह होगी
ना तुम्हारे दिन तपे हुए.
ये पल ही होगा
कभी शीतल
कभी चाँद.
मैं चली जाऊँ तो उदास मत होना कभी,
मुड़कर देखना
रास्ते में चलते हुए
मैं
खड़ी
हाथ हिलाती
नज़र आऊँगी।

10 comments:

  1. बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

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  2. बहुत सुन्दर रचना, विरह के क्षणो की कल्पना मे एक स्त्री के सुन्दर वेदना पूर्ण भावो को मार्मिक और ह्र्दय स्पर्शी शब्दो के माध्यम से सकारात्मक रूप से अभिव्यक्त करना एक अनोखी विधा होती है और आपने यह बखूबी कर दिखाया है, वैसे भी जीवन जीने का नाम है, जो कष्टो के बीच अपने पौरुष का परिचय देता है, दुनिया उसी का सम्मान करती है,

    वास्तव मे विरह के पलो मे मनुष्य मे अद्भुत स्रिजन शक्ति का प्रादुर्भाव होत्ता है और विद्वान पुरूष और विदुषी स्त्रिया इन पलो को बखूबी भुनाते है,

    मैं चली जाऊँ तो निराश मत होना.
    जीना ही तो है!
    एक सीधा-सा प्रश्न
    एक अटपटा-सा उत्तर.
    अपने अगले पलों में छिपाकर रखूँगी मैं तुम्हें
    और तुम मुझे रखना.
    मौका पाते ही
    उन निधियों के हम सामने रख खोला करेंगे.

    आपने इन पन्क्तियो के माध्यम से एक स्त्री की कोमल कल्पना को जहा सकारात्मक सौन्दर्य प्रदान किया है वही साथ ही अपने प्रिय के प्रति एक स्त्री की उदार सोच को सवेदना के शब्दो मे गूथकर बडे सुन्दर भाव दिये है,

    आपको हार्दिक बधाई वा ढेरो शुभकामनाये और हा, आपने इसके किये कोई स्केच क्यो नही बनाया? बडे सुन्दर स्केच बना इन भावो को यदि आप चाहती तो और ज्यादा सौन्दर्य से सुसज्जित कर सकती थी.

    सादर

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  3. आपकी दो रचनाएं पढी हैं मैंने । आपकी लेखन शैली बेहद सरल और शब्द भी सामान्य होते हुए भी प्रभाव बहुत ही गहरा छोड़ते है । बेहतरीन लिखा हे आपने । बधाई

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  4. Anjanta ji,
    Simple but bottom-hearted poems of yours touch the Readers' Hearts, at the same time they fill us with the strength and confidene of new-age women...
    Wow!

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  5. बहुत भावपूर्ण ... सुंदर अभिव्‍यक्ति।

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  6. बहुत सुंदर भाव...

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  7. अति सुन्दर !!!
    मौका पाते ही
    उन निधियों के हम सामने रख खोला करेंगे.
    उनके रहते ना मेरी रातें स्याह होगी
    ना तुम्हारे दिन तपे हुए.
    बहुत ही भावपूर्ण !!!
    बहुत बहुत बधाई !!!

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  8. pasand ki paktiyan upar udhrit hain. ek sundar rachana ke liye badhaai.

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  9. अजंता जी
    बहुत दिनों से आपकी एक भी रचना पढने को न मिली... बेसब्री से इंतजार करता रहा... ना ही आपका कमेंट्स ही मिला...

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  10. बहुत भावपूर्ण रचना लगी..

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