Wednesday, July 25, 2007

मेरी दुनिया



ये ख्वाबों ख्यालों विचारों की दुनिया
मन को दुखाते कुछ सवालों की दुनिया
उस कोने पडी एक शराब की बोतल
इस कोने पडी खाली थालों की दुनिया
दौड्ते औ भागते रास्तों का फन्दा
या तन्हा सिसकती राहों की दुनिया
तू कौन क्या तेरा क्या उसका क्या मेरा
कुछ बनते बिगडते सहारॊं की दुनिया
एक कमरे मे पलते सपनों की दुनिया
एक कमरे मे ख्वाब के मज़ारों की दुनिया

8 comments:

  1. HI AJANTAJI,
    JUST VISITED YOUR BLOG.IT IS NOCE, IT IS MY SUGGESTION THAT ADD YOUR ALL POEMS INTO THE BLOG.
    BEST REGARDS FROM
    ASHOKAN MEENGOTH
    DUBAI

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  2. ek kavita yaad ayi sarveshwar dayal ki

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  3. ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्‍या है।
    ब्‍लागिंग में आपका स्‍वागत है।
    और लिखिए।

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  4. पढ़ कर महानगरों का जीवन चित्र आंखों के सामने बन जाता है.
    अतिउत्तम...

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  5. Bad luck :( that I can't read Hindi but sketches describe them to a great extent ..... those are simply amazing .... really feeling good to realize that I have your association ....

    With regards,
    Sid

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  6. Are wah, kya baat hai, bahut achha likha hai aapane

    ये ख्वाबों ख्यालों विचारों की दुनियाँ
    मन को दुखाते कुछ सवालों की दुनियाँ
    उस कोने पडी एक शराब की बोतल
    इस कोने पडी खाली थालों की दुनियाँ

    ye chaar line to wakayi Bemishal / damdar hain

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  7. बहुत अच्छी कविता है। "दुनियाँ" शब्द को सही कर लें तो ठीक रहेगा, यह अशुद्ध है, शुद्ध शब्द है " दुनिया " । धन्यवाद।

    डा० व्योम

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